नमस्कार मैं डॉक्टर संगीता विश्वकर्मा गैस्ट्रोएंट्रोजिस टु लिवर स्पेशलिस्ट, मेडिकल हेल्थ क्यर से आज फिर आपके समक्ष एक बहुत ही इम्पोर्टेन्ट टॉपिक को लेके आई हूँ जिसका नाम है सिरोसिस ऑफ लिवर। जब लिवर में सूजन पैदा होती है, हम उसे हेपेटाइटिस बोलते हैं। अक्यूट हेपेटाइटिस के समय पेशेंट को जॉन्डिस हो जाता है। उल्टियाँ लगने लगती है, भूख खत्म हो जाती है, किसी किसी को पूरे शरीर पे खुजली होने लगती है और यही हेपेटाइटिस जब छे महीने के ऊपर चलता रहता है। हम इसे क्रोनिक हेपेटाइटिस बोलते हैं। क्रोनिक हेपेटाइटिस के तकरीबन 20-30 प्रतिशत लोग आठ से 10 सालों के ऊपर। सिरोसिस ऑफ़ लिवर में परिवर्तित हो जाते हैं। अब सिरोसिस के फेस में क्या होता है कि लिवर सिकुड़ जाता है। सो आमतौर पे लिवर का जो सतह होती है जो फील होता है वो पनीर के जैसे होती है एकदम नरम लेकिन कुछ समय के ऊपर ये सेब के जैसे हार्ड हो जाता है। जो और इस हार्ड लिवर को जो की साइज में छोटा भी हो जाता है,

कुर्दरा बन जाता है। इसको हम सिरोसिस ऑफ़ लिवर बोलते हैं। सिरोसिस ऑफ़ लिवर का मतलब है कि लिवर अपने फंक्शन को पूरी तरीके से नहीं कर पाता है। अब लिवर के फंक्शन क्या? क्या है प्रोटीन बनाना? प्रोटीन के साथ साथ हमारे जो एंटीबॉडीज का प्रोडक्शन है, वो वहाँ से होता है। जो हमारे शरीर के क्लॉटिंग के फॅक्टर्स होते हैं वो भी वहाँ बनते हैं। एक तौर पे लिवर एक प्रोडक्शन हॉउस भी है और और वो शरीर की कुछ गंदगी भी हमारे शरीर से बाहर निकालता है। जस्ट लाइक किडनीस। सो लिवर दोनों काम कर रहा है, एक किचन के जैसे काम कर रहा है, खाना भी बन रहा है और गॉर्बिज भी वहाँ से बाहर निकलता है वो और जब लिवर की प्रोब्लम्स होने शुरू होती है तो जब तक 40% के ऊपर का लिवर डॅमेज नहीं हो जाता है, हमें पता नहीं चलता है क्योंकि पेशेंट बिल्कुल ठीक ठाक रहता है। पकड़ में कैसे आती है चीजें? पेशेंट को बहुत थकावट हो सकती है या बराबर भूख नहीं लगती है। वो अपने डॉक्टर के पास जाता है। डॉक्टर लिवर के टेस्ट कराता है, उसमें हल्की फुलकी थोड़ी बहुत गड़बड़ नजर आती है। एंजाइम में सोनोग्राफी करवाता है तो सोनोग्राफी में लिवर में सिकुड़न पैदा हुई दिखाई देती है। अब सिरोसिस ऑफ़ लिवर का इलाज कैसे हो? देखिए सिरोसिस ऑफ़ लिवर जो है ये वापस नॉर्मल तो नहीं बन सकता है लेकिन इस सिरोसिस ऑफ़ लिवर को हम कॉमपेन्सेटेड स्टेज से डिकम्पेन्सेटेड स्टेज बनने तक तो रुकावट जरूर कर सकते हैं। कुछ अपनी एहतियात बरत के कुछ एक चीजें जो हम कर सकते हैं वो ये है जैसे वैक्सीनेशन, हेपेटाइटिस ये है। हेपेटाइटिस बी है। ये अगर हमें रोग नहीं हुए तो हेपेटाइटिस ए और बी के वैक्सीनेशन हमें करा देनी चाहिए। ऑफ़ कोर्स आजकल के समय में चोविद् का वैक्सीनेशन होना भी बहुत ही इम्पोर्टेन्ट चीज़ है क्योंकि ये सारे वायरसेस कुछ ऐसे हैं

जो की लिवर में फर्दर डिकम्पन्सेशन प्रोड्यूस कर सकते हैं तो इनसे तो हम बच ही सकते हैं। अल्कोहल का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। स्मोकिंग नहीं करना चाहिए क्योंकि लिवर में सिकुड़न है, जो खराबी है वो और ज्यादा बढ़ सकती है। लिवर में डिकम्पन्सेशन आ सकती है और यही नहीं देखिये सेरॉसिस ऑफ़ लिवर जो है वो लिवर के अंदर कैंसर बनाने का भी एक रिस्क फॅक्टर होता है। तो ये सारी चीजें जो है, कैंसर के उत्पाद में भी एक डबलिंग इफेक्ट दिखा देती है यानी अल्कोहल ऑर स्मोकिंग। सो इनको तो बिल्कुल ही छोड़ देना चाहिए। हमें एक्सर्साइज़ प्रोटोकोल एक बनाके रखना चाहिए। खाना एकदम ताजा खाना चाहिए, पौष्टिक खाना चाहिए, प्रोटीन भरपूर लेने चाहिए। क्योंकि सिरोटिक लिवर प्रोटीन नहीं बना सकता है। सिरोटिक लिवर शुगर भी ज्यादा स्टोर नहीं करके रख सकता नॉर्मल्ली हमारे शरीर में शुगर ग्लाइकोजन के रूप में स्टोर्ड रहता है और जब हम खाली समय काफी लंबे समय तक खाली पेट रहते हैं। तो यही ग्लाइकोज़िन है जो ग्लूकोज़ में कॉनवर्ट हो जाता है, लेकिन केरटिक लेवर ये काम अच्छी तरीके से नहीं कर पाता है। इसीलिए केरटिक पर्सन को खाना नियमित रूप से बराबर खाना चाहिए। लंबे समय के उपवास बिल्कुल नहीं करने चाहिए। ये सब चीजें करके। हम एक कम्पेन्सेटेड सेनेटिक पर्सन को लंबे समय तक अच्छे हेल्त में मेंटेन कर सकते हैं। हाँ, कुछ लोग जो हैं इनमे से एक डिकम्पेन्सेटेड स्टेज में चले जाते हैं तो समझते हैं डिकम्पेन्सेटेड सेरेसिस होता क्या है?
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