हाइड्रोसिफाइलस यानी सर का बड़ा होना, खासतौर से बच्चों में। इन्फेंट्स में यह एक ऐसी कंडीशन है जो पेरेंट्स के लिए बहुत कन्सर्निंग होती है। अभिभावकों या गार्डियन के लिए या माता पिता के लिए एक सोचने वाली बात होती है। आज हम साथियों को दवाएं आपको इसी हाइड्रोसिफलस को मैनेज करने की बताएंगे, आपको उनकी जानकारी देंगे। नमस्कार साथियों, मैं डॉक्टर S.Kखन्ना, होमियोपैथी क्लिनिक इस प्रोग्राम में एक बार फिर आपका स्वागत है साथियों, आज हम बात करेंगे हाइड्रोसिफाइलस के विषय में हाइड्रोसिफाइलस एक क्रोनिक कंडीशन होती है जो खासतौर से इनफेंट्स और बच्चों में पाई जाती है।
जो की एक जानलेवा कंडीशन भी बन सकती है। आज हम साथी आपको बताएंगे हाइड्रोसिफाइलस के विषय में उसको कंट्रोल मैनेज करने के विषय में कुछ कारगर होम्योपैथिक दवाएं सबसे पहले साथी में जान लेते है। आखिर हाइड्रोसिफाइलस होता क्या है? क्नॉइस। हाइड्रो से फैल साथियों वह स्थिति ब्रेन की होती है जब सेरेब्रो स्पाइनल फ्लूइड जो कि ब्रेन सेल्स को नरिश करने के लिए होता है, उसको बेध कराने के लिए होता है।

एक तरह से उसकी मात्रा ब्रेन में ज्यादा वेन्टिकल्स में बढ़ जाती है और वहाँ ब्रेन पे ब्रेन टिश्यू पे प्रेशर डालने लगती है और हेड का साइज बढ़ जाता है। यहाँ ही जो स्थिति होती है प्रेशर बढ़ने की, ब्रेन में इसी स्थिति को हाइड्रोसिफाइलस कहते हैं। सिम्पटम्स की बात कर लें साथियों हाइड्रोसोफेलस के सिम्पटम्स बच्चों का सर बड़ा हो जाना प्रेशर के कारण। फ्रंटल एरिया में बल्ज हो जाना। सर में हाइड्रोसेलस के कारण यह कंडीशन होती है जो एविडेंस होती है। साथ में नोजियां आना, बेहोसियां आना, चक्कर आना, हेडेख होना, पेन होना, यह सारे सिम्प्टम हाइड्रोसेलस से असोसिएटेड हो सकते हैं। कारणों की बात करले साथियों हाइड्रोसेफुलस का कारण जब वेंटिकल वेंटिकल में जो सेवेरे स्पाइनल फ्लूइड होता है जो प्रोडक्शन होता है वहाँ ब्लड बेसिस के थ्रू अब्सॉर्ब हो जाता है तो जब ओवर प्रोडक्शन हो जाता है। या कोई ऑब्स्ट्रक्शन होता है। ब्लड वेसल्स को अब्सॉर्ब करने में इस फ्लूइड को फ्लूइड को ब्लड वेसल्स को ब्रेन में तो वही कंडीशन में जो है,
टिश्यू में ब्लड बढ़ जाता है और यह एक परेशानी का सबब बनता है। लेकिन साथियों समस्याएं समाधान है। हम आपको बताते है कुछ कारगर होमियोपतीक दवाएं जो हाइड्रोसिफाइलस को मैनेज करने में मदद कर सकते है। साथियों, हाइड्रोसिफाइलस क्रोनिक कंडीशन है। कोई भी दवा बिना कुशल चिकित्सक से प्रीस्क्राइब करे बिना न लीजियेगा ऐसा मैं आपसे निवेदन करता हूँ, चलते है साथियों उस सफर पे।

जिसपे आपको बताते है हाइड्रोसेफाइलस को मैनेज, कंट्रोल और क्यूर करने की कुछ प्रभावी होमियोपैथिक दवाएं आपकी जानकारी के लिए एक स्थिति साथियों हाइड्रोसेफाइलस में आती है यानी की एनलार्ज्ड हिट में आती है की बच्चों में खास तौर से। कि हेड में पेन होता है, सर में दर्द होता है और वहाँ लिंब्स में जो हाथ पैर होते है उनमें झटके आने लगते है, चर्किंग होने लगती है तो अगर यह सिम्प्टम हो तो इस स्थिति को ठीक करने की होमोपैथी में बहुत अच्छी दवा आती है। एपी एस मेलिफिका 30 पावर में दो दो बूंद दिन में तीन बार उस स्थिति में दी जा सकती है जब मरीज का बच्चे का सर बहुत बड़ा हो गया हो। उनको हाथ पैरों में चर्किंग आ रही हो सर में उनको दर्द होता हो सर को वो बोर पिलो में जो है बिलकुल धसा देते हो और। बच्चे को नींद बहुत आती हो, ऐसी स्थिति में हो सकती है। एक ही स्थिति आती है साथी हो, किसी मरीज को हाइड्रोसिलस हो और उनके सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो गई हो, विस्डम खत्म हो गया हो, यादाश कम हो गई हो। अगर यह स्थिति और साथियों तो इस स्थिति को ठीक करने की होमियोपैथी में बहुत अच्छी दवा है। मर्क सोलुबलिस् मर्क सोलुबलिस् 30 पावर में दो दो बूंद दिन में तीन बार ली जा सकती है। यहाँ दवाई से मरीज को लाभ देगी, सवस्थ लाभ देगी और मरीज को सवस्थ करेगी। हाइड्रोसिफाइलस के साथियों एक स्थितिया थी की बच्चे का सर बहुत बड़ा हो गया हो और उनके सर से बहुत पसीना आ रहा हो। अगर यह स्थिति हो की मरीज को हाइड्रोसिफाइलस हो, उनके शरीर से उनके सर से बहुत पसीना आ रहा हो, तकिया पूरा गीला हो जाता हो, मरीज को ठंड बहुत ज्यादा लगती हो। और थोड़ा सा बच्चा बहुत सवस्थ और हेल्ती हो जिसमे सर ज्यादा बड़ा हो तो उस स्थिति की दवा है। 30 पावर में दो दो बूंद दिन में तीन बार आप यहाँ दवा दे सकते हैं। यहाँ दवा ऐसे मरीज को लाभ देने की एक बहुत अच्छी संभावित दवा है। एक ही स्थिति साथियों आती है के केस में। की बच्चे को सर में पीछे की तरफ दर्द हो रहा हो, बेक साइड दर्द हो रहा हो। अगर यह स्थिति हो साथी हो तो इस स्थिति को ठीक करने की होमियोपैथी में बहुत अच्छी दावा है। 30 पावर में वहाँ मरीज ले सकते हैं, जिनको सर में पीछे की तरफ दर्द होता हो। खाने में उनको मीठा ज्यादा पसंद हो और पेट में उनके अक्सर गैस ब्रूरहट बनी रहती हो और शाम को 4:00 बजे के कल करीब दो से चार के बीच उनकी तकलीफों में बढ़ोतरी होती हो। यहाँ दवाएं से मरीज को।
0 Comments